INDIAN ARMY ने Automatic Chemical Agent Detection And Alarm की 223 इकाइयों की खरीद के लिए L&T कंपनी के साथ समझौता किया

ईराक में अमेरिकी हमले हो या यूक्रेन में रूसी हमला. कहीं न कहीं इन हमलों के पीछे एक बड़ी वजह जैविक हथियारों से होने वाले खतरे का ही आरोप था.
आगामी समय में न्यूक्लियर, जैविक और रासायनिक युद्ध का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में भारतीय सेना भी खुद को मजबूत करने में लगी है. जैविक खतरों से निपटने के लिए भारत ने कुछ महत्वपूर्ण समझौते किए है.
डील की लागत ₹80.43 करोड़
भारतीय सेना ने डीआरडीई, ग्वालियर की Automatic Chemical Agent Detection and Alarm (ACADA) प्रणाली की 223 इकाइयों की खरीद के लिए L&T कंपनी के साथ समझौता किया है. इस डील की लागत 80.43 करोड़ है. यह प्रणाली, chemical warfare agents और जहरीले औद्योगिक रसायनों का पता लगाने में मदद करती है. यह आधुनिक युद्ध और आपदा प्रबंधन के लिए अहम है.
आयन मोबिलिटी स्पेक्ट्रोमेट्री के सिद्धांत पर काम करती है ACADA
यह प्रणाली, आयन मोबिलिटी स्पेक्ट्रोमेट्री के सिद्धांत पर काम करती है. यह एक स्थिर बिंदु पर इस्तेमाल होने वाला डिटेक्टर है. इसमें बैटरी और नेटवर्किंग क्षमता होती है. इसमें निगरानी स्टेशन पर डेटा भेजने के लिए रिमोट अलार्म यूनिट होती है. यह प्रणाली, पर्यावरण से हवा का नमूना लेकर रासायनिक युद्ध एजेंटों और प्रोग्राम्ड विषाक्त औद्योगिक रसायनों का पता लगाती है.
इस डिवाइस को स्वदेशी तकनीक से विकसित करने वाला चौथा देश बना भारत

यह डिवाइस ‘ACADA’ हवा में घुले केमिकल के बारीक कणों को भी कैच कर ऑडियो और वीडियो रूप में अलर्ट जारी करेगा. भारत इस डिवाइस को स्वदेशी तकनीक से विकसित करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है. इस प्रणाली को भारतीय खरीद (आईडीडीएम) श्रेणी के तहत खरीदा गया है. इस श्रेणी में, उपकरणों के 80 प्रतिशत से ज़्यादा घटक और उप-प्रणालियां स्थानीय स्तर पर ही खरीदी जाती हैं.
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